Friday, September 10, 2010
स्कूलों से खाली पेट लौट रहे है बच्चे
मध्यान्ह भोजन योजना अनदेखी के कारण हो रही दागदारसीहोर। प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में बच्चों की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से लागू की गई मध्यान्ह भोजन योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही बरतने के अनेक उदाहरण देखने में आ रहे हैं। केन्द्र शासन द्वारा सर्वशिक्षा अभियान के तहत स्कूलों में यह योजना संचालित की जा रही है। मगर स्कूल में दाखिला हो जाने के बाद छात्रों की पढ़ाई और उनकी सेहत से जुड़े कार्यों पर जिस तरह से अनदेखी हो रही है, उससे यह योजना दागदार होती जा रही है। कई स्कूलों में तो महिला स्व सहायता समूह द्वारा खाना देना बंद कर दिए जाने के कारण बच्चे खाली पेट घर लौट रहे हैं।जानकारी के अनुसार जिले में हर माह करीब एक दर्जन से दो दर्जन स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना चौपट हो जाती है। भोजन के लिए खाद्यान्न, और सब्जियों की खरीद में हो रहे घपलों, किचन में खाना तैयार करने के तरीकों और छात्रों को खाना परोसने में हो रही लापरवाहियों के किस्से अब मैदान में आ चुके हैं कि बच्चों और पालकों में भय का वातावरण बनता जा रहा है। दोपहर भोजन के नाम पर प्रबंधन से जुड़े लोगों की जीभर कर कमाई हो रही है। इस सबका यह परिणाम हो रहा है कि भोजन की गुणवत्ता दुष्प्रभावित होती जा रही है। ठेके पर दी गई भोजन व्यवस्था को सुपरविजन की अनदेखी से भोजन की पौष्टिकता और शुद्धता पर ध्यान नहीं दिया जाता है। भोजन पकाते समय जिन-जिन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, वह नहीं हो रहा है। भोजन बनाने में हो रही लापरवाही से कीड़े-मकोड़े भी पके हुए भोजन में पाए जाने लगे हैं। जबकि भोजन बनाने के लिए शाासन ने लाखों खर्च कर खाना बनाने वालों को एनजीओ के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिलाया गया है। कहीं बच्चे खाली पेट लौट रहे,कहीं शिक्षक उठा रहे भरपेट आनंदछात्रों की सेहत को पुष्ट बनाए रखने और स्कूल में उपस्थित रहकर पढ़ाई में उनका मन लगाने रखने के उद्देश्य की यह योजना इन दिनों छात्रों की सेहत के साथ खिलवाड़ के लिए जानी जाने लगी है। इस योजना के क्रियान्वयन पर जितनी खबरें आ रही हैं उसमें कहीं-कहीं से ऐसी खबरें भी आती हैं कि स्कूली छात्रों के हक के इस भोजन का कोई-कोई शिक्षक भी भरपेट आनंद ले रहे हैं। ऐसे शिक्षक पता नहीं किस मिट्टी के बने हैं जो छात्रों के अधिकार के भोजन पर डाका डालकर रुचि-रुचि भोजन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ जिले में ऐसे भी स्कूल हैं। जहां मध्यान्ह भोजन नहीं बंटने के कारण बच्चे खाली पेट लौट रहे हैं। जानकारी के अनुसार इछावर तहसील के दूरस्थ अंचल में स्थित जीवनताल माध्यमिक स्कूल के हाल भी कुछ इसी प्रकार हैं। स्व सहायता समूह की मनमर्जी के कारण बच्चों को खाली पेट लौटना पड़ रहा है। बताते है कि यहां करीब दस दिनों से बच्चे खाली पेट ही स्कूल से लौट रहे हैं। इस संबंध में स्कूल की प्रभारी प्रधानाध्यापिका का कहना है कि स्कूल में मध्यान्ह भोजन नहीं बंटने की जानकारी बीआरसी, बीइओ और सीइओ को दी जा चुकी है, लेकिन अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कुछ इसी प्रकार की शिकायत नसरुल्लागंज के इटारसी, आष्टा के वरखेड़ा सहित करीब एक दर्जन स्कूलों को प्रकाश में आई है। प्राथमिक में पौने तीन, माध्यमिक में मिल रहे चार रुपए प्रति छात्र भोजन व्यवस्था के लिए स्व सहायता समूह को राशन के अलावा प्राथमिक के छात्रों के लिए करीब पौने तीन रुपए और माध्यमिक के छात्रो के लिए करीब चार रुपए प्रति छात्र के मान से बजट मिल रहा है। केन्द्रांश और राज्यांश के मान से देखें तो मध्यान्ह भोजन योजना में प्राथमिक स्कूल के विद्यार्थियों को केन्द्र से प्रतिछात्र 2.02 रुपए और राज्यांश 0.67 रुपए के अलावा सौ ग्राम प्रति छात्र के मान से खाद्यान्न दिया जा रहा है। इसी प्रकार माध्यमिक स्कूल विद्यार्थियों को प्रति छात्र केन्द्र से 3.02 रुपए तथा राज्यांश 1.01 रुपए तथा 150 ग्राम प्रति छात्र मान से खाद्यान्न दिया जा रहा है। मध्यान्ह भोजन के लिए दिए 94 लाखजिला पंचायत द्वारा जिले में मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के सुचारू क्रियान्वयन के मद्देनजर जिले की शासकीय प्राथमिक / माध्यमिक और शासन से अनुदान प्राप्त शालाएं/मदरसों में माह सितम्बर के लिए खाद्यान्न तथा भोजन पकाने के लिए राशि पुनरबंटित कर दी गई है। मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं के लिए 3717.54 क्विटंल खाद्यान्न और भोजन पकाने के लिए 94 लाख 95 हजार 256 रूपयों की राशि उपलब्ध कराई गई है। शालाओं में दर्ज छात्रों की 75 फीसदी औसत उपस्थिति के मान से 24 शैक्षणिक कार्य दिवस के लिए प्राथमिक शालाओं को 54 लाख 47 हजार 961 रूपयों की राशि और 2211.15 क्विंटल खाद्यान्न पुनरबंटित किया गया है। इसी तरह माध्यमिक शालाओं के लिए 40 लाख 47 हजार 295 रूपयों की राशि और 1506.44 क्विटंल खाद्यान्न पुनरबंटित किया गया है। शिकायत मिलने पर की जा रही कार्रवाईजिला पंचायत के मध्यान्ह भोजन प्रभारी जीएस चौहान ने स्वीकार किया कि महीने में मध्यान्ह भोजन नहीं मिलने व अन्य तरह की 10 से 15 शिकायतें मिल रही हैं। शिकायतों के आधार पर नसरुल्लागंज के इटारसी, आष्टïा के वरखेड़ा सहित अन्य स्वसहायता समूह पर कार्रवाई की गई है। फेक्ट फाइलग्रामीण क्षेत्र में प्राथमिक शालाएं 1370दर्ज विद्यार्थी 110676शहरी क्षेत्र में प्राथमिक शालाएं 124दर्ज विद्यार्थी 12165ग्रामीण क्षेत्र में मिडिल शालाएं 565दर्ज विद्यार्थी 48846शहरी क्षेत्र में मिडिल शालाएं 46दर्ज विद्यार्थी 6978
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