Saturday, November 27, 2010

पुलिस कर्मियों ने बच्चे को हथकड़ी लगाई


सीहोर खेलने-कूदने और पढ़ने की उम्र में कई बच्चे अपराध का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। जिस तेजी से नाबालिगों में अपराध की प्रवृत्ति बढ़ रही है, उससे न सिर्फ पुलिस की नींद उड़ गई है, बल्कि खुफिया तंत्र भी खासा चिंतित है। माता-पिता भी इसे लेकर बेहद परेशान हैं। पुलिस चाह कर भी अंकुश नहीं लगा पा रही। मनोचिकित्सक की मानें तो बच्चों में बढ़ रही आपराधिक प्रवृत्ति को समय रहते नहीं रोका गया तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं। बुधवार को पुलिस कर्मियों ने एक बच्चे के हाथ में हथकड़ी डालकर जो जनचर्चा का विषय बना हुआ है। दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस सम्बन्ध में पुलिस अधीक्षक केडी पाराशर का कहना है कि भौतिक चकाचौंध के कारण बच्चों में अपराध की भावना जगती है। बच्चे खासकर लूट, चोरी की वारदात कर अपनी आवश्कताओं की पूर्ति करने का प्रयास करते हैं। माता-पिता में बढ़ रहे झगड़ों के कारण भी बच्चों पर विपरीत असर पड़ता है। इस कारण भी वे अपराध का रास्ता पकड़ लेते हैं। बड़े-बुजुर्गों का मार्गदर्शन नहीं मिलना, बच्चों को नजर अंदाज करना भी बाल अपराध बढ़ा रहा है। उनका कहना है कि ऐसे मामले पुलिस के लिए भी मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। मनोचिकित्सक का मतजिले में नाबालिगों में अपराध की भावना बढ़ने को लेकर संवाददाता महेन्द्र ठाकुर से चर्चा में मनोचिकित्सकों का कहना है कि कम हो रहे धार्मिक व नैतिक संस्कारों से ऐसा हो रहा है। साथ ही, भाग-दौड़ की जिंदगी के कारण अभिभावक बच्चों को समय नहीं दे पाते। ऐसे में बच्चों का ध्यान इस तरफ खिंच जाता है। समाज का बदलता ताना-बाना भी इसके लिए जिम्मेदार है। बच्चों में सफलता के शॉर्टकट अपनाने की भावना बढ़ने से वे अपराध की घटनाओं को अंजाम देते हैं। बच्चों की ऐसी गलतियों से परेशान माता-पिता अब बच्चों को लेकर मनोचिकित्सक के पास पहुंचने लगे हैं। अनेक लोगों का मानना है कि कुछ हद तक इसके लिए टीवी संस्कृति भी जिम्मेदार है। टीवी पर आपराधिक दृश्य देखकर बच्चों की मानसिकता उनकी नकल करने की होती है। परिणामस्वरूप बच्चों के आपराधिक वारदातों के मामले बढ़ रहे हैं। घर के बड़ों को बच्चों की पसंद पर नजर रखनी चाहिए।कहां है समाजसेवीसमय-समय पर शहर में समाजसेवी और विभिन्न राजनैतिक दल छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन वास्तव में उन्हें हकीकत से कोई मतलब नहीं होता है। ताजा मामला तो इसी ओर इशारा कर रहा है। दो दिन हो गए हैं, इस मामले को, बच्चे को हथकड़ी लगाकर पुलिस कर्मियों ने घुमाया लेकिन कोई कार्रवाई अब नहीं हुई है। ऐसे रुक सकते हैं बाल अपराध- ऐसे रूक सकते हैं बाल अपराध - अभिभावक अपने बच्चों को समय दें।- बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें।- बच्चों को धार्मिक व नैतिक संस्कारों का ज्ञान दिया जाए।- माता-पिता अपने झगड़े बच्चों से दूर रखें।- बच्चों को नजरअंदाज नहीं करें।- बड़े-बुजुर्गो का सानिध्य मिले।
यहां संप्रेषण गृह नहीं है, बाहर के पुलिस कर्मियों ने बच्चे को हथकड़ी लगाई होगी।केडी पाराशर, पुलिस अधीक्षक

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